Hindi, Heart and Hastakkshar: poems that bleed vernacular valour

  • समय की वीणा:

    कल मैंने आँगन में मोर देखा मोरनी थी शायद चपल, रंग कुशल चंचल पग, लयबद्ध चाल मैं स्थिर खड़ा उसके पास कौतुक नैनों में नृत्यलोकन की आस वो उड़ बैठी नीम की डाल त्रीव सौन्दर्य करता सहज उपहास मैंने देखा…

  • Man’s Search For Meaning

    Disclaimer: This, by no means, is a review or a critical analysis. My capabilities are too dwarf, plebeian, and limited to be able to comment on or criticize these masterpiece creations. Consider these to be only thoughts arising from reading this…

  • Badal

    गहरे मानसून का बादल हूँ,बन के मोती पिघलता हूँ,ग़र करोगे याद पाओगे मुझेमैं हर सावन सफ़र करता हूँ । मैंने देखा है तेरी आँखों मेंयादों की एक कशिश सी,वो शिकवे वो शिकायतें,जज़्ब अरमानों का वो सूखा दरिया,अबकी ऐसा करता हूँ,तेरी…

  • पाती प्रेम की

    लेखनी लेकर बैठा एक कवि पाती प्रेम की लिखने को तैयार, स्मरण करण के छायाचित्र पर प्रियतमा तुम्हारे स्मृति चिन्हों को पाता हूँ। आओ मैं भी एक गीत सुनाता हूँ। घने कजरारे मदमस्त मेघ सा सावन अम्बर से गेसू, दूज…