समय की वीणा:
कल मैंने आँगन में मोर देखा मोरनी थी शायद चपल, रंग कुशल चंचल पग, लयबद्ध चाल मैं स्थिर खड़ा उसके पास कौतुक नैनों में नृत्यलोकन की आस वो उड़ बैठी नीम की डाल त्रीव सौन्दर्य करता सहज उपहास मैंने देखा…
कल मैंने आँगन में मोर देखा मोरनी थी शायद चपल, रंग कुशल चंचल पग, लयबद्ध चाल मैं स्थिर खड़ा उसके पास कौतुक नैनों में नृत्यलोकन की आस वो उड़ बैठी नीम की डाल त्रीव सौन्दर्य करता सहज उपहास मैंने देखा…