ये समर विशेष है
(२) ये समर विशेष है समय वस्तुतः बड़ा विचित्र है। पुष्प लहलहा रहे बाग़ में, पंछी चहकते नील गगन में, वातावरण सिंचित है प्राण वायु से किंतु प्राण संशित है वातावरण से, मनुज बँधा भय की लक्ष्मण रेखा में, पशु स्व्क्छंद विचारते…
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(२) ये समर विशेष है समय वस्तुतः बड़ा विचित्र है। पुष्प लहलहा रहे बाग़ में, पंछी चहकते नील गगन में, वातावरण सिंचित है प्राण वायु से किंतु प्राण संशित है वातावरण से, मनुज बँधा भय की लक्ष्मण रेखा में, पशु स्व्क्छंद विचारते…