Nostalgia

सुनो, आज फिर मिलते हैं,

कुछ क़िस्से पुराने सुनाते हैं,

कुछ गीत नए गुनगुनाते हैं।

 

वो बचपन की मधुर यादें,

वो नानी दादी की बातें,

वो सपने पतंग के पेंच के, वो,

अफ़साने शीला की जवानी के,

गाँव के पुराने बरगद की छांव,

वो बारिश में काग़ज़ की नाव,

वो कैंची डंडे की साइकल,

वो गली क्रिकेट की महफ़िल,

दिए दोस्ती के अब भी जलते हैं,

चलो आज फिर मिलते हैं ।

 

पड़ोसी की छत पर,

मोहल्ले की दुकान पर,

राजू के मकान पर,

कॉलेज की कैंटीन में,

गाड़ी की सीट पर,

बाइक की पीठ पर,

सरपट दौड़ती राहों में,

लैला की निगाहों में,

 

कुछ ग़ज़लें तुम गाना,

कुछ नग़मे हम सुनाते हैं,

चलो आज फिर मिलतें हैं।

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