सुन्दर सजल रंगीले, कुछ लाल कुछ पीले,
मेरे ख्वाबों के दस्ते।
पलाश के फूलों की महक लिए,
आंखों में हुड़दंग की ललक लिए,
मेरे यारों के दस्ते।
वो पुकारते मुझे, मैं पुकारता उन्हें
लेकर अपनी चाहतों के गुलदस्ते।
मैं मृदंग हूं, मैं ताल हूं,
ठंडाई का घूंट पिये, मैं मदमस्त चाल हूं
फाल्गुन की नर्म दुपहरी में,
सूरज सी बाहें फैलाए, होली का गुलाल लिए,
वो पुकारते मुझे, मैं पुकारता उन्हें,
लेकर अपनी चाहतों के गुलदस्ते।
होली के अबीर गुलालों के दस्ते,
मेरे ख्वाबों के दस्ते,
आये, मेरे यारों के दस्ते।।
गज़ब अंदाज़