(२) ये समर विशेष है समय वस्तुतः बड़ा विचित्र है। पुष्प लहलहा रहे बाग़ में, पंछी चहकते नील गगन में, वातावरण सिंचित है प्राण वायु …

I Say Chaps
(२) ये समर विशेष है समय वस्तुतः बड़ा विचित्र है। पुष्प लहलहा रहे बाग़ में, पंछी चहकते नील गगन में, वातावरण सिंचित है प्राण वायु …
एक शाम यादों में , एक शाम आहों में। एक पुराना बरगद और उसपे बैठा इक परिंदा। गाँव की गलियाँ वो रंगरलियाँ, इमली के पेड़ …
एक उम्र से एक मुकाम की तलाश में… जाने कब किस ओर ले कर चलते हैं मुझको ये मेरे टहलते कदम। मैं तो बस मैं …