Poems
पाती प्रेम की
लेखनी लेकर बैठा एक कवि पाती प्रेम की लिखने को तैयार, स्मरण करण के छायाचित्र पर प्रियतमा तुम्हारे स्मृति चिन्हों को पाता हूँ। आओ मैं भी एक गीत सुनाता हूँ। घने कजरारे मदमस्त मेघ सा सावन…
ये समर विशेष है
(२) ये समर विशेष है समय वस्तुतः बड़ा विचित्र है। पुष्प लहलहा रहे बाग़ में, पंछी चहकते नील गगन में, वातावरण सिंचित है प्राण वायु से किंतु प्राण संशित है वातावरण से, मनुज बँधा भय की लक्ष्मण रेखा में, पशु स्व्क्छंद विचारते…
शिशिर की ठिठुरती रात
ठंडी, सूनी श्यामल राहों को, शबनम की बूंदों का साथ है, ये शिशिर की ठिठुरती रात है। धूमिल चांदनी, चढ़ता कुहासा शुष्क शाखों पर दुबके पंछी, चौपालों की सहमी झुर्रियों को, स्नेही प्रज्वला की सौगात है। ये…
कुरुक्षेत्र
समय आया बड़ा विचित्र है,क्षितिज पर अजीब चित्र है,धरा का भी हाल बेहाल है,दिशाओं में फैला काल है,व्याधि घुली है फिज़ाओं में,आसमानी सागर भी लाल है,पार्थ संबोधित है अर्जुन से,खड़ा कलयुगी कुरुक्षेत्र में।। पतंगा लील रहा ज्योति…
सफ़र
चाहतें यूं ही नहीं अक्सर मंज़िल को तरस जाती हैं,बस्ती और वीराना दोनों मुझसे नाराज़ है। सैलाब कब का, पशेमां हो कर गुज़र चुका है, हवाओं को नजाने क्यों खुद पे नाज़ है। वफ़ा सरे राह बैठी…
टहलते कदम…
एक उम्र से एक मुकाम की तलाश में… जाने कब किस ओर ले कर चलते हैं मुझको ये मेरे टहलते कदम। मैं तो बस मैं हूं…घुमड़ते अब्र सा हवाओं के रुख पर टहलता हूं। एक उम्र से…
मेरे हृदय की अविरल गंगा
(1) नतमस्तक बैठा हूं सुनहरी सांझ के गलियारों में हृदय में अपने सृजन की विस्मित झंकार लिए, गर्भ की चोटिल हुंकारों का, विरही तन की मरमित पुकारों का, ज्वर से तपती रातों में बोझिल आंखों के करुण…