Hindi, Heart and Hastakkshar: poems that bleed vernacular valour

पाती प्रेम की

लेखनी लेकर बैठा एक कवि

पाती प्रेम की लिखने को तैयार,

स्मरण करण के छायाचित्र पर

प्रियतमा तुम्हारे स्मृति चिन्हों को पाता हूँ।

आओ मैं भी एक गीत सुनाता हूँ।

घने कजरारे मदमस्त मेघ सा सावन

अम्बर से गेसू, दूज चाँद सा यौवन,

अंजलि प्रेम की निज कर भर लाता हूँ।

आओ मैं भी एक गीत सुनाता हूँ।

पथ, पथिक दोनो यहाँ, नही कोई सँशित

नही कोई हिरन अरण्य में ओझल,

कहो कि मरीचि को खोज लाता हूँ।

आओ मैं  भी एक गीत सुनाता हूँ।

मद लय, ख़ुशी आवारी, चंचल नयना

करुण कपोल से अनुरक्त, तरुण चेतना,

भ्रम है, मदिरालय से मदिरा पीकर आता हूँ।

आओ मैं भी एक गीत सुनाता हूँ।

अर्पण निज प्रेम अनंत, जिसका आदि ना अंत

कहो प्रिय कि हो निज मिलन, इसी बसंत,

स्नेह भाल पे एक बिंदु मैं अभी लगाता हूँ।

आओ मैं भी एक गीत मैं भी सुनाता हूँ ।

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